Best Rajasthan Ke Mandir Jankari Hindi Mein 2021

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राजस्थान की यह भूमि हमेशा अपनी कला, साहित्य और संस्कृति के कारण हमेशा समृद्ध रही है। वैसे तो राजस्थान भारत देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपने सांस्कृतिक तथा पर्यटन स्थलों के कारण अपनी एक अलग पहचान रखता है। यहां के लोगों की जीवन शैली को देश विदेश की प्राकृतिक शैली भी नहीं बदल पाई। इस पोस्ट में राजस्थान के प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जानेंगे जो परीक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होते हैं।

Rajasthan Ke Mandir (राजस्थान के मंदिर) –

भीलवाड़ा के प्रसिद्ध मंदिर (Famous Temples of Bhilwara) –

बाईसा महारानी का मंदिर – यह प्रसिद्ध मंदिर भीलवाड़ा के देवालय गंगापुर में स्थित है। आपको बता दें कि इस मंदिर का निर्माण ग्वालियर के महाराज महादजी सिंधिया की पत्नी गंगाबाई की याद में बनवाया गया था। इस मंदिर में महारानी गंगा माई की मूर्ति स्थापित है, इसलिए इसे बाईसा महारानी का मंदिर कहा जाता है।

सवाई भोज मंदिर – भीलवाड़ा जिले के आसींद में स्थित यह मंदिर लगभग 1100 वर्ष पुराना है, जो खारी नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर मुख्य रूप से गुर्जर जाति के लोगों के लिए श्रद्धा का मुख्य केंद्र है, क्योंकि सवाई भोज बगड़ावत गुर्जर जाति के वंशज माने जाते हैं।

हरनी महादेव मंदिर – यह मंदिर भीलवाड़ा से लगभग 6 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां पर एक पत्थर की चट्टान झुकी हुई है जिसके नीचे भगवान शिव जी का मंदिर बना हुआ है। यहां प्रतिवर्ष शिवरात्रि पर एक विशाल मेला लगता है, जहां लाखों लोग देखने जाते हैं।

अजमेर के प्रसिद्ध मंदिर (Famous Temples of Ajmer) –

ब्रह्मा जी मंदिर पुष्कर – अजमेर जिले के पुष्कर शहर में विश्व का प्रसिद्ध ब्रह्मा जी का मंदिर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण लगभग 14वीं शताब्दी में करवाया गया था, इसमें एक प्रसिद्ध ब्रह्मा का मंदिर है। इस मंदिर में विधि के अनुसार पूजा अर्चना की जाती है। इस मंदिर को मुख्य रूप से हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल माना जाता है।

इस मंदिर के पास एक पुष्कर झील है, जिसमें 52 घाट बने हुए हैं। पुष्कर तीर्थ को हिंदुओं के प्रमुख पांच तीर्थों में सबसे पवित्र माना जाता है, इसी कारण पुष्कर को तीर्थराज कहा गया है। इस पुष्कर झील के तट पर अजमेर के राजा मानसिंह के द्वारा बनवाया गया एक मानमहल है, जिसे कुछ समय पहले RTDC द्वारा होटल सरोवर में बदल दिया गया था।

अलवर के मुख्य मंदिर (Important Temples of Alwar) –

नारायणी माता मंदिर – अलवर जिले की राजगढ़ तहसील में बरवा नामक डूंगरी की तलहटी में घने वृक्षों से घिरा यह मंदिर सभी समाज के लोगों का पूजा स्थल है। यहां हर वर्ष वैशाखी शुक्ला एकादशी को मेला लगता है, जहां काफी संख्या में लोग देखने पहुंचते हैं।

नौगांवा जैन मंदिर – यह मंदिर अलवर दिल्ली रोड मार्ग पर स्थित है, इस मंदिर को उत्तरी भारत में दिगंबर जैन समाज का प्रमुख पूजा केंद्र माना जाता है। यहां पर ‘ऊपर वाला मंदिर’ के नाम से जैन तीर्थ पर शांतिनाथ भगवान का एक बड़ा मंदिर भी है।

नोट – आपको बता दें कि अलवर जिले को राजस्थान का सिंह द्वार के नाम से भी जाना जाता है। इसकी स्थापना कच्छावा वंश के शासक रावराजा प्रताप सिंह के द्वारा करवाई गई थी।

यहां राजस्थान का सबसे बड़ा भर्तहरि मेला लगता है। भर्तहरि नाथों का प्रसिद्ध स्थल है। यह उज्जैन के राजा एवं महान योगी भरतरी की तपोस्थली है। जहां प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को भर्तहरि का विशाल मेला लगता है।

जयपुर के प्रसिद्ध मंदिर (Famous Temples of Jaipur) –

गलता मंदिर – यह मंदिर जयपुर शहर में स्थित है। यहां जयपुर के बनारस के नाम से एक प्रसिद्ध प्राचीन पवित्र कुण्ड है। प्राचीन समय में इस मंदिर के स्थान पर गालब ऋषि का आश्रम बताया जाता है। वर्तमान समय में यह मंदिर Monkey Valley के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के पर्वत की सर्वोच्च ऊंची चोटी पर सूर्य मंदिर है।

बिरला मंदिर – इस मंदिर में राजस्थानी वेशभूषा के विकास की सजीव झांकी देखने को मिलती है, जो काफी लोकप्रिय भी है। इस मंदिर में मुख्य आकर्षण का केंद्र बीएम बिड़ला संग्रहालय है।

आमेर की शीतला माता मंदिर – इस मंदिर में शीतला माता की मूर्ति पाल शैली में काले संगमरमर से बनी हुई है। इस मंदिर का निर्माण सवाई मानसिंह द्वितीय ने करवाया था। इस मंदिर में निर्मित यह मूर्ति की प्रसिद्ध थी कि जहां इस मूर्ति की पूजा होती है उसे कोई नहीं जीत सकता है। शीतला माता कच्छवाहा राज परिवार की आराध्य देवी थी। यहां नवरात्रों में छठ तथा अष्टमी पर मेले का आयोजन होता है।

नोट – जयपुर को गुलाबी नगरी के नाम में भी जाना जाता है। यहां कई और भी पर्यटन स्थल है जैसे- हवा महल, सिटी पैलेस, जल महल, प्रीतम निवास, जय निवास उद्यान, अल्बर्ट हॉल, जंतर-मंतर, स्टेच्यू सर्किल, मोती डूंगरी आदि कई दर्शनीय स्थल हैं।

जैसलमेर के प्रसिद्ध मंदिर (Famous Temples of Jaisalmer) –

रामदेवरा मंदिर – जैसलमेर में सबसे अधिक प्रसिद्ध मंदिर बाबा रामदेवरा का है। यह मंदिर पोकरण तहसील के निकट रुणिचा कस्बे में स्थित है। इस पवित्र तीर्थ स्थल पर सभी क्षेत्रों के तथा सभी समुदाय के लोग दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर को सांप्रदायिक सद्भाव तथा राष्ट्रीय एकता का प्रमुख केंद्र माना जाता है। इस मंदिर के तीर्थयात्रियों को ‘जातरू’ कहा जाता है।

इस मंदिर से लगभग 12 किलोमीटर दूर पंच पीपली नामक एक धार्मिक स्थल है, जहां रामदेव जी में पांच पीरों को पर्चा दिया था। यहां भाद्रपद शुक्ला को 2 से 11 तक विशाल मेला लगता है। इस मेले में लाखों की संख्या में लोग बाबा रामदेव के दर्शन के लिए जाते हैं।

नोट – जैसलमेर जिले को स्वर्ण नगरी के नाम से भी जाना जाता है।

जैसलमेर का क्षेत्रफल 38401 वर्ग किलोमीटर है।

करौली के मुख्य मंदिर (Main Temples of Karauli) –

कैला देवी मंदिर – यह मंदिर त्रिकूट पर्वत की घाटी में कालीसिंध नदी के किनारे पर स्थित है। कैला देवी के दर्शन के लिए जो भी श्रद्धालु जाते हैं वो कालीसिल नदी में स्नान जरूर करते हैं। इस कैला देवी मंदिर के सामने बोहरा भगत की छतरी बनी हुई है। कैला देवी की भक्ति के लिए लोग लोक देवता लांगुरिया के भजन गाते हैं। यहां कैला देवी का एक प्रसिद्ध लक्खी मेला लगता है। इस मेले में सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचते हैं।

महावीर जी मंदिर – करौली जिले की हिंडौन सिटी में गंभीर नदी के किनारे पर स्थित यह मंदिर विश्व विख्यात है। यह मंदिर करौली जिले के संगमरमर तथा लाल पत्थर के योग से चतुष्कोण आकार में बनाया गया है। इस मंदिर पर दर्शन करने के लिए सभी धर्म संप्रदाय तथा जाति के लोग सद्भाव से जाते हैं। चैत्र शुक्ल त्रयोदशी यानी महावीर जयंती पर प्रतिवर्ष 4 दिन का मेला लगता है।

इस मेले में सबसे प्रमुख आकर्षण का केंद्र वैशाख कृष्णा प्रतिपदा पर निकलने वाली जिनेंद्र रथ यात्रा है, जो इस मंदिर से प्रारंभ होकर गंभीरी नदी के तट तक पहुंचती है।

सवाई माधोपुर के प्रसिद्ध मंदिर (Famous temples of Sawai Madhopur) –

राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले के रणथम्भौर क्षेत्र को बाघों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। सवाई माधोपुर में सन् 1973 में स्थापित राज्य की प्रथम बाघ परियोजना रणथम्भौर टाइगर प्रोजेक्ट है। सवाई माधोपुर जिले में बनास नदी के टीलों पर खस नामक एक घास पाई जाती है। इस घास का उपयोग कर आसपास के गांवों तथा क्षेत्र में कुछ लोग खस का इत्र तथा अन्य सामग्री बनाने का कार्य करते हैं।

गणेश मंदिर – यहां सबसे प्रसिद्ध मंदिर गणेश मंदिर है। इस मंदिर में गणेश भगवान के मुख की पूजा की जाती है, क्योंकि इनकी मूर्ति पर गर्दन, हाथ तथा शरीर के अंग इस प्रतिमा पर नहीं है। जहां प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल की चतुर्थी यानी गणेश चतुर्थी को एक विशाल मेला लगाया जाता है, जहां लाखों लोग अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए पहुंचते हैं। यह मेला ऐतिहासिक तथा देश का सबसे प्राचीन मेला माना जाता है। यह गणेश मंदिर रणथम्भौर क्षेत्र में चारों ओर से घने वृक्षों से घिरा हुआ है, तथा पर्वत की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित है।

धुंधलेश्वर मंदिर – यह मंदिर सवाई माधोपुर जिले के गंगापुर सिटी तहसील से लगभग 7 किलोमीटर दूर स्थित है। इस मंदिर में धुंधलेश्वर भगवान का प्राचीन शिवालय है।
यहां प्रतिवर्ष भाद्रपद कृष्णा नवमी को मेला लगता है। इस मंदिर पर भगवान आशुतोष का शिवलिंग भी स्थित है।

घुश्मेश्वर महादेव शिवाड़ – इस मंदिर में भगवान शिव का बारवा एवं अंतिम ज्योतिर्लिंग अवस्थित है। पर्वत की तलहटी में बने इस मंदिर की खास बात यह है की भगवान शिव की ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए लोग रात्रि में अधिक जाते हैं। रात्रि में देखने पर यह मंदिर काफी सुहावना लगता है।

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